केतु की महादशा में आपका जीवन : Ketu Dasha

Ketu Mahadasha

Ketu Mahadasha

जातक के जीवन में दशाओं के पहलु से कई दशाएं आती हैं इन्ही दशाओं में केतु भी अपना पड़ाव सुनिश्चित करता है। केतु की महादशा में आपका जीवन एक गहरे बदलाव से गुजरता है और आपको जीवन के अगले पड़ाव के लिए तैयार करता है।

दशा प्रणाली का परिचय

वैदिक ज्योतिष में भविष्य के पुर्वनुमान की कई तकनीक में से दशा प्रणाली एक विशेष तकनीक जो व्यक्ति के जीवन में घटने वाली घटनाओ के बारे में समय का निर्धारण करती है। दशा प्रणाली की तकनीक किसी व्यक्ति के जीवन को ग्रहों की अवधि में विभाजित करती है। विशिष्ट ग्रहों द्वारा शासित ये अवधियाँ, व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करते हुए सामने आती हैं। इन ग्रहों में एक विशेष अनुक्रम होता है जिससे यह निर्धारित होता है की किस समय कौन सा ग्रह व्यक्ति के जीवन पर अपने प्रभाव डाल रहा है ?

दशाओं के प्रकार :

ज्योतिष में दशाएं कई प्रकार की होती हैं और हर अलग अलग दशा से जीवन में आने वाली स्थितियों परिस्थितियों का पता लगाने के लिए एक विशेष नियमबद्ध तरीके को अपनाया जाता है। आज की हमारी चर्चा में हम विंशोत्तरी दशा पर करेंगे।  इस विंशोत्तरी दशा में केतु की दशा हमारा मुख्य चर्चा बिंदु होगा।

ज्योतिष में केतु के महत्व का संक्षिप्त अवलोकन:

केतु वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण महत्व रखता है। यह आध्यात्मिकता, वैराग्य, कर्म संबंध और पिछले जन्म के प्रभावों का प्रतिनिधित्व करता है। मेरी दृष्टि में केतु को पिछले जन्म का द्वार कहा जा सकता है। जब कुंडली में केतु विशेष प्रभावी हो जाता है तो व्यक्ति के जीवन की घटनाएं पिछले जन्म से जुड़ती हैं। जन्म कुंडली में केतु का स्थान और प्रभाव किसी व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। जब केतु विंशोत्तरी दशा में सक्रीय होता है तो यह ७ वर्षों की दशा होती है।  इस दशा में केतु कुंडली में जिस स्थान पर बैठा है उसके अनुसार अपना प्रभाव डालता है। वैसे तो जब भी किसी ग्रह के निश्चित प्रभाव की बात होती है तो हर कुंडली अपने आप में विशेष भूमिका निभाती है और उसी के अनुसार अपना अंतिम परिणाम देती है।

पर, जब किसी विशेष ग्रह भी बात करें तो वो ग्रह अपनी अवधि में अपने प्रभाव को व्यक्ति के जीवन पर छोड़ता है और जातक के व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक और  जीवन के अन्य पहलुओं पर अपने कारकत्व के अनुसार स्थितियां प्रकट करता है।

दशा प्रणाली में केतु की भूमिका:

दशा एक विशेष ग्रह द्वारा शासित अवधि को संदर्भित करती है, जो उस दौरान किसी व्यक्ति के जीवन पर उसके प्रभाव को दर्शाती है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि जब किसी विशेष ग्रह की दशा आती है, तो किसी व्यक्ति के जीवन में इस ग्रह की ऊर्जाओं और गुणों का प्रभाव और अभिव्यक्ति तीन गुना तक हो जाती है। अर्थात्, जीवन में ऐसे बहुत से मुद्दे हैं जिनके लिए ग्रह जिम्मेदार है, इसमें महादशा में आने वाले ग्रह की प्राकृतिक प्रकृति सीधे जुड़ी हुई है।केतु दशा केतु ग्रह द्वारा शासित अवधि को दर्शाती है, जो 7 वर्षों तक फैली होती है। यह राहु जितनी लंबी अवधि नहीं है, राहु की दशा 18 वर्षों की होती है लेकिन केतु के लिए 7 वर्ष बहुत होते हैं। आगे आप समझ जाएंगे कि क्यों केतु की दशा सिर्फ 7 वर्षों में ही जातक के जीवन के गहरे पहलुओं को बदल देती है? क्यों केतु के लिए 7 वर्ष पर्याप्त हैं।

केतु महादशा की विशेषताएँ:

यदि आप राहु और केतु के बीच उनकी दशा अवधि को लेकर तुलना करते हैं तो राहु की अवधि केतु से बहुत अधिक है पर हम राहु और केतु के बीच एक बहुत विशिष्ट अंतर देख सकते हैं। राहु व्यक्ति को महत्वाकांक्षाओं से भरता है और उन महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए कई सारे अवसर भी देता है। मनुष्य की कई इच्छाओं को जो भौतिक व्यवस्था से संबंध रखती है, पूर्ण करने की गारंटी भी देता है। कई बार पूर्ण करता भी है और कई बार व्यक्ति को परेशानियों में भी डाल देता है। मगर केतु व्यक्ति के भीतर महत्वाकांक्षाओं और इच्छाओं का संशोधन करने की इच्छा रखता है। केतु का संबंध इच्छाओं की पूर्ति नहीं बल्कि इच्छाओं से विरक्ति है। केतु भौतिक धन संपदा, सामाजिक महत्वाकांक्षाएं, इन सभी से व्यक्ति को काटने का प्रयास करता है। उसकी यह सारी व्यवस्था जातक को आध्यात्मिक विकास के पथ पर लाने के लिए होती है। वह जातक को आध्यात्मिक अनुभवों से भर देना चाहता है। केतु यह बताता है की यह संसार जो एक भ्रम की व्यवस्था मात्र है। उसमें जातक को अपनी इच्छाओं की पूर्ति के बाद भीआध्यात्मिक शांति की प्राप्ति नहीं हो पाएगी। केतु यह बताता है की जीवन असल में बाहरी संपदाओं की प्राप्ति नहीं बल्कि भीतरआंतरिक प्रकाश की तरफ यात्रा का नाम है।

अजीब बात यह है की केतु की दशा अवधि में व्यक्ति एक विशेष प्रकार की आंतरिक स्थिति से गुजरता है जिसे कुंडली में केतु के प्रभाव को देख कर ठीक ठीक समझ पाना बहुत मुश्किल सा प्रतीत होता है।

केतु एक ऐसा ग्रह है जो अत्यंत रहस्यमयी और बिना अनुमान लगा सकने की स्थिति में अपने को रखता है।  यह वो रहस्य है जहाँ आप परिस्थिति का अगला पड़ाव भांप नहीं सकते। इससे केतु की दशा में आने वाले प्रभाव को ठीक-ठाक बता पाना अत्यंत मुश्किल जैसा हो जाता है। यह जीवन को अनिश्चित से भरता है और भौतिक जीवन की सारी निश्चितताएं खत्म करने का प्रयास करता है। यह जीवन को असुरक्षा के भाव का पान करने को कहता है। इन भौतिक निश्चितताओं में आप संपत्ति की प्राप्ति, घर खरीदना, शादी करना, व्यवसाय शुरू करना, नौकरियां लगाना, इन सब चीजों को समझ सकते हैं। केतु व्यक्ति की चेतना को अंदर की ओर मोड़ने का प्रयास करता है।

अपनी अवधि में केतु व्यक्ति को लोगों से काटता है जातक को भीड़-भाड़ जैसी व्यवस्था अच्छी नहीं लगती। जातक को लोगों से बात करना या उन में घुलना पसंद नहीं आता। जातक तूफान से भरा होता है और अज्ञात की तरफ ही यात्रा जारी रखता है।इस बात को हम ऐसे समझ सकते हैं की राहु और केतु एक ही इकाई के दो हिस्से हैं जिसमें राहु सिर का हिस्सा है और केतु धड़ का हिस्सा है। इसलिए केतु के पास दृष्टि न होने के कारण उसे अज्ञात और असामान्य रास्तों का प्रतीक माना गया है। आध्यात्मिक मार्ग भी इसी प्रकार से असामान्य अप्रत्याशित मार्ग ही है। यह भी माना जाता है की केतु की अवधि के दौरान व्यक्ति कोअपने पिछले जन्म के अनुसार धर्म कर्म के कार्य करने का अवसर मिलता है।

इस बात में कोई आश्चर्य नहीं है कि केतु की अवधि में व्यक्ति उन्हीं लोगों से संपर्क में आता है जिनसे उनका गहरा कर्म संबंध इस जन्म में या पिछले जन्म में स्थापित हुआ हो इस अवधि के दौरान वे कर्म प्रभाव के रूप में अपने को उजागर करते हैं और अपनी ऊर्जा में स्खलन या प्रभावशीलता की बढ़ोतरी दिखाते हैं। 7 साल की दशा में केतु व्यक्ति को दिखा सकता है कीसच्ची आध्यात्मिकता क्या है। आध्यात्म के रहस्य्मयी अनुभव किसे कहते हैं, और जिसे प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को किन अंगारों पर चलना पड़ सकता है।

कई लोग इस दशाको लेकर व्यर्थ में डरते भी हैं। इस बात में सच्चाई है कि आपकी कुंडली में विशेष स्थितियों में बैठा केतु आप में भौतिक सुखों के प्रति उपेक्षित आचरण व्यवस्थित करता है लेकिन इसी के विपरीत ज्ञान और आपकी गहन आतंरिक समझ को आप में पुरस्कृत करता है। केतु जातक को जीवन के भौतिक सुखों और संपदाओं के प्रति उपेक्षित नजरिया प्रदान कर उसे यह बताना चाहता है कि जब शुक्र की एक लंबी अवधि की महादशा जीवन के दूसरे पड़ाव पर उसका स्वागत करेगी तो उसे उस महादशा में सुख-समृद्धि, सामाजिक चमक धमक या फिर ऐश ओ आराम को विरक्त होकर भोगना है नहीं तो शुक्र के दशा अवधि की 20 साल उसे शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से पतन की गहरी खाई में धकेल देंगे। असल में केतु की दशा शुक्र की दशा में मिलने वाले भोग की तैयारी का भी इशारा है। महादशा का क्रम जीवन में एक अत्यंत आवश्यक योगदान निभाता है। हर दशा अपने आगे और पीछे की दूसरी दशा से जुड़कर जातक के जीवन का मार्ग निर्देशित करती है। केतु की दशा अवधि में अलग-अलग ग्रहों की अंतर्दशा भी आती है जिसमें जीवन में कुछ विशेष बदलाव देखने को मिलते हैंजो उन ग्रहों की कुंडली में स्थितियों पर निर्भर हैं।

केतु की दशा में लोग गुप्त जीवन शैली को जीना पसंद करते हैं। वे लोगों के बीच दिखाई देना पसंद नहीं करते। शोर शराबों के बीच उन्हें परेशानी महसूस होती है। कई लोग अपने घर या अपने स्थान पर ही उस अवधि के दौरान जीवन को काटना पसंद करते हैं और कुछ तो जीवन के जलते प्रश्नो की खोज में निकल पड़ते हैं।

केतु अपनी 7 साल की महादशा में व्यक्ति को आध्यात्मिक कर्म करने के लिए प्रेरित करता है। केतु की दशा व्यक्ति में संन्यास का चिंतन भरती है। ब्रह्म और ईश्वरीय चेतना के प्रति व्यक्ति को संवेदनशील बनाती है। कई बार व्यक्ति रहस्यमय स्थान की यात्रा करता है और वहां पर असाधारण रहस्यमई अनुभवों को प्राप्त होता है। केतु व्यक्ति में “मैं कौन हूं ?” जैसे प्रश्नों के जवाब के प्रति संवेदनशीलता भरता है। कई बार इस दशा में व्यक्ति को स्वप्न में पिछले जन्म में की गई साधनाओं की धुंधली अभिव्यक्ति भी होती है।  कई लोग केतु की दशा में ज्योतिष जैसी विधाओं को सीखने का भी रुख करते हैं।  चूँकि एक व्यक्ति अपनी भौतिक लालसा से गंभीरता से जुड़ा हुआ होता है इसलिए कई बार इस दशा में व्यक्ति अपने परिवार, जीवन के संसाधन, संपत्ति, जीवनसाथी और बच्चों के भविष्य के प्रति भी आंतरिक रूप से चिंतित होता है। इस अवधि में व्यक्ति को अपनी भौतिक उन्नति दिखाई नहीं पड़ती इसलिए वह अपने को पिछड़ा हुआ भी महसूस करता है और इसी कारण से कई बार यदि जातक में दृढ़ निश्चय की कमी हो तो वह विरोधाभासी व्यवहार अपनाता है और अपने को दुख और तनाव की स्थिति में धकेलता है।

केतु की दशा में अपनी आत्मा से जुड़ना और आध्यात्मिक पथ पर निरंतर अग्रसित रहना ही एक औषधि है जो व्यक्ति को भौतिक दुनिया की तथाकथित अंतहीन समस्याओं से बचने और वास्तव में गहरे मूल्यवान आध्यात्मिक चिंतन में मदद करती है।

अगर आप भी केतु की दशा से गुजर रहे हैं तो अपने अनुभव comment box में जरूर साझा करें।

Related Articles

22 thoughts on “केतु की महादशा में आपका जीवन : Ketu Dasha”

  1. Totally agree.
    Going through ra MD ketu AD. Jo jo aapne kaha ekdam correct. Insecurity and Fear of left behind wala ho hi rha hai. No financial planning is working . No seriousness in work or studies. True everything is similar as stated above.

      1. Namaste sr right now my guru mahadasha is running ana I m getting gyan from you about dasha I may get in lifetime after Shani mahadasha yes your right sr that people are afraid of this dhasha I feel the same already I m so much into reading occult material you have explained in details but inorder to get something shashwat I mean imperishable out of life one must go through this before going through u have already enlightened us that what’s going to happen thank you for being lighthouse.

  2. Thank you for sharing your knowledge🙏I will have this Mahadasha in this lifetime..feeling so amazed to know all this beforehand by you🌼✨

  3. Namaste sir very well explained in simple language so that anyone can understand easily.thank u sir for sharing your knowledge with us 🙏

  4. Namaskar sir , sir meri to 8th lord sun ki dasha but sun ketu k nakshatra m h ,tab bhi m same things fell kr rahi hu ye Mera personal experience h ,but Mane ketu ki dasha Wale native ko bhi aise hi result pate hue dekha h native builder , architect , foreign tak work kr Chuka h but abhi ketu k dasha m sab chode Diya because of restless mind ,sirf khoj Raha h Aisa sab life m ku ho raha , astrology m aaya h baki sabhi baate same h ,Jo bhi aapne batayi h 🙏
    Thankyou so much sir for your nice explanation on this topic 🙏🙏🙏

  5. प्रणाम सर जी🙏
    मेरी केतू की महादशा तो नहीं चल रही है पर मेरा चन्द्रमा केतू के नक्षत्र में बैठा है और चन्द्रमा की महादशा चल रही है। जो भी बातें आपने बतायी हैं वो सब बिल्कुल वैसा ही हो रहा है मेरे साथ और कुछ विशेषताएं केतू की मुझमें जन्म से ही प्रबल हैं जैसे कि मुझे भीड़ भाड़ बिल्कुल नहीं पसंद है। शोर शराबों में बहोत परेशानी महसूस होती है। मैं अकेले रहना पसंद ज्यादा पसंद करती हूँ। मुझे दिखावा करना नहीं पसंद है। गुप्त जीवन जीना ज्यादा पसंद है। और धर्म कर्म के काम में ज्यादा ख़ुशी और मन को शांति मिलती है।

  6. Very well explained.. each n every line is true in my case same things happened to me when I was in ketu dasha few year back..

  7. Purbasha chowdhury

    When I am 7years old that time i am going through the ketu mahadasha it’s really painful for me. You are also right ketu have this feeling on me i am not very attract for money. I want money for necessary uses.i am not much memories of ketu mahadasha. I have really anger issues which not control myself. My mom was always worried for my behaviour. Even she can’t control me this time. Most of times she cries how to control my child. After that i am really ashamed myself why I did this.. I am not this person. I am really care and love my family and friends. Ketu mahadasha very much emotional painful for me.

  8. Shailesh Saxena

    Thank you for this nice article clarifying various aspects of Ketu Dasha. In case of Ketu, because it is full of mystery, it is all the more important that we understand what to expect and prepare ourselves accordingly. I have been through this dasha already and am mid way through my Venus Dasha. I completely agree with your thoughts as I have experienced them practically. I love how you explain that the sequence of the dashas creates a particular life pattern for us. I am witnessing it in my own life now. Fortunately for me the Ketu lessons have made a permanent impact and that is helping me go through the Venus dasha with much less attachments and desires.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top